क्रम० स० |
परिक्रमा का नाम |
परिक्रमा का
महत्व |
परिक्रमा की लम्बाई |
परिक्रमा मार्ग पर प्रमुख स्थल |
परिक्रमा लगाने का समय |
मानचित्र |
1 |
ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा |
ब्रज को भगवान श्रीकृष्ण की लीलास्थली एवं नित्य वास स्थल माना जाता है। ब्रज क्षेत्र चौरासी कोस की परिधि में स्थित है। ब्रज की चौरासी कोस की परिक्रमा यात्रा सर्वाधिक महत्व की यात्रा मानी जाती है। इस परिकमा में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़े स्थल, सरोवर, वन, मंदिर, कुण्ड आदि का भ्रमण किया जाता है। यह सम्पूर्ण यात्रा लगभग 360 किमी० की है, जिसे यात्री / श्रद्वालु पैदल भजन-कीर्तन एवं धार्मिक अनुष्ठान करते हुए लगभग 40 दिनों में पूरा करते है।
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लगभग दूरी 360 किमी० |
मथुरा, वृन्दावन, गोवेर्धन, बरसाना, नंदगाँव, गोकुल, महावन, बल्देव,कुंड, एवं सरोवर आदि |
1-चातुर्यमास (जुलाई, अगस्त, सितम्बर अक्टूबर)
2-अधिकमास
3-यथा समयानुसार
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2 |
गोवेर्धन परिक्रमा |
मथुरा-डीग मार्ग पर मथुरा से 25 किमी0 दूरी पर गोवर्धन पर्वत अवस्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने बृजवासियों को देवताओं के राजा इन्द्र के कोप से होने वाली भीषण वर्षा व तूफान से बचाने के लिये इस पर्वत (गिरिराज) को अपनी कनिष्ठा (अंगुली) पर सात दिन –रात तक उठाये रखा था |
21 किमी०
( 7 कोस ) |
दानघाटी मंदिर, जतीपुरा,
पूंछरी का लौठा (राजस्थान)
कुसुम सरोवर,
राधाकुण्ड,
मानसीगंगा, उद्भवकुण्ड,
गोविन्द कुण्ड आदि
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1- वर्षभर
2-एकादशी पूर्णिमा के मध्य
3- गुरुपूर्णिमा
4- गोवर्धन पूजा
5- अधिकमास |
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3 |
वृन्दावन परिक्रमा |
वृन्दावन ब्रजमण्डल का अत्यन्त प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है वृंदावन ब्रिज का हृदय स्थल है यह श्री राधा कृष्ण की अवर्णनीय दिव्य लीलाओं का साक्षी रहा है मथुरा से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित वृंदावन में लगभग 4000 मंदिर घाट तथा सरोवर हैं |
15 किमी०
( 5 कोस ) |
श्री बाँके बिहारी मंदिर, मदन मोहन मंदिर, केसिघाट, नीम करोरी बाबा आश्रम,रमनरेती आदि अनेक मंदिर
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1-एकादशी से पूर्णिमा के मध्य
2-अक्षय तृतीया
3-अधिकमास
4-अन्य पवित्र अवसरों पर |
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4 |
बरसाना परिक्रमा |
यह स्थान मथुरा से 47 किलोमीटर दूर भगवान श्री कृष्ण की आहलादिनी शक्ति श्री राधाजी की पावन भूमि के रूप में विख्यात है यह स्थान लगभग 200 फुट ऊंचे एक पहाड़ की ढाल पर बसा हुआ है इस पहाड़ी का नाम ब्रहत्सानू या ब्रहमसानू है ब्रहास्वरूप इस पर्वत पर दानगढ़ मानगढ़ विलास गढ़ और मोर कुटी जैसे पवित्र स्थल हैं |
7 किमी०
बड़ी परिक्रमा ब्रहमांचल पर्वत )
4 किमी०
(छोटी परिक्रमा)
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साँकरी खोर, राधा रानी मंदिर, प्रिया कुंड, दानगढ़, मानगढ़, विलासगढ़ आदि |
1- अधिकमास
2-अन्य पवित्र अवसरों पर |
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5 |
मथुरा परिक्रमा |
दिल्ली से 145 किमी0 तथा आगरा से 56 किमी0 की दूरी पर पवित्र निगम यमुना नदी के पश्चिमी तट पर मथुरा नगरी अवस्थित है। पुराणों के अनुसार भगवान राम के अनुज श्री शत्रुधन ने लवणासुर के वध के उपरान्त मधुरा नगरी की स्थापना की थी।
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15 किमी०
( 5 कोस ) |
विश्राम घाट, कंकाली देवी, भूतेश्वर महादेव रंगेश्वर महादेव. सरस्वती कुण्ड आदि
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1-अक्षय नवमी
2-देवोत्थान एकादशी
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6 |
नंदगाँव परिक्रमा |
यह स्थान भगवान श्रीकृष्ण के बाल्यकाल का स्थल एवं उनके पोषक पिता नन्दराय जी का ग्राम है यहाँ नन्दराय जी का विशाल मंदिर है जिसे नन्दालय अथवा नन्दभवन भी कहा जाता है मंदिर में यशोदा, नन्दबाबा, श्रीकृष्ण, बल्देव ग्वालबाल तथा श्रीराधा जी की मूर्तियों स्थापित हैं।
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4 किमी०
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यशोदा कुण्ड, मोती कुण्ड, ललिता कुण्ड, मोर कुण्ड, चरण पहाड़ी, पावन सरोवर नन्द मंदिर आदि
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1-शरद पूर्णिमा
2- अक्षय तृतीया
3- गोवर्धन पूजा यथा समय, ग्रहण काल
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7 |
गोकुल परिक्रमा |
मथुरा से 10 किमी0 दूर यमुना के सुरम्य तट पर गोकुल अवस्थित है। पुराणों के अनुसार कंस के कारागार में जन्म लेते ही वसुदेव शिशु कृष्ण को कंस से छिपाकर यमुना के पार गोकुल छोड़ आये थे यहाँ उनका बाल्यकाल व्यतीत हुआ।
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10 किमी०
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बजरंग घाट, पूतना कुण्ड, हरिहर टीला, रमणरेती, श्रीकुण्ड, गोप तलाई, कमल कुण्ड, ठकुरानी घाट, यशोदा घाट आदि समस्त घाट पतित पावन कुण्ड आदि
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1-ग्रहण काल
2-एकादशी
3-पूर्णिमा
4-अक्षय नवमी
5-अमावस्या
6-एकादशी देवोत्थान
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8 |
बल्देव परिक्रमा
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मथुरा से 20 किमी0 की दूरी पर स्थित बल्देव कस्बा श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का स्थान माना जाता है। यहाँ श्री बल्देव जी का (दाऊजी) का विशाल मंदिर है। मंदिर में श्रीदाऊजी और रेवतीजी की मनोहारी विशाल मूर्तियों स्थापित हैं।
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5 किमी०
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क्षीर सागर, दाऊजी मंदिर
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1-राम नवमी
2- अक्षय तृतीया
3- देवोत्थान एकादशी
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9 |
कोकिलावन परिक्रमा
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ब्रज के प्रमुख वनों में एक है यहाँ शनिदेव का प्रसिद्ध मंदिर है जिनके दर्शनार्थ अत्यधिक संख्या में श्रद्धालु पहुचते हैं |
3 किमी०
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कोकिलावन बिहारी, शनिदेव मंदिर सूर्य कुण्ड आदि
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1- शनिवार
2- ग्रहणकाल
3- अमावस्या
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