Experience the flavour of birth place of Lord Krishna Mathura Vrindavan.
राधा कृष्ण की लीला स्थली बृजभूमि ललित कलाओं में सदा समृद्धशाली रही है तथा पूरे देश ही नही बल्कि विश्व मे आकर्षण का केन्द्र रही है। ऊधौ मोय ब्रज बिसरत नाही‘ (उद्धव मुझसे ब्रज भुलाया नही जाता) ये शब्द है ब्रज छोडकर द्वारिका पहुंच कर द्वारिकाधीश बनने वाले श्री कृष्ण जी के । ब्रज की सभी बीथियों मे राधा- कृष्ण का पावन प्रेम बिखरा हुआ है। यहां की हर गतिविधि दिव्य है। इसी दिव्य भूमि पर यहां की गरीब परंतु हुनरबंद स्वंय सहायता समूहों की महिलाओं के हस्तनिर्मित उत्पादों का संग्रह ब्रजरज स्टोर पर किया गया है। ब्रजरज की मोहक खुशबू का आभास इनमें होता है ब्रजरज ही तो है राधा- कृष्ण की चरणरज। ब्रजरज स्टोर पर प्रदर्शित स्वंय सहायता समूहों द्वारा हस्तनिर्मित उत्पाद ब्रज- संस्कृति का मूर्त रूप प्रस्तुत करते है जिनमे प्रमुख है। कान्हा जी की पोषाक, मुकुट, सिंहासन, पालकी और आभूषण। इन उत्पादों में आपकी आर्थिक सहभागिता महिला सशक्तीकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।